उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालhemp production uttarakhand namrata and gaurav story

पहाड़ के युवा दंपति ने पलायन को हराया..भांग की खेती से युवाओं को दिया रोजगार, लाखों में है कमाई

गौरव और नम्रता पेशे से आर्किटेक्ट हैं। चाहते तो शहर में आराम की जिंदगी बिता सकते थे, लेकिन पहाड़ के लिए कुछ करने की चाहत उन्हें गांव खींच लाई। आज दोनों भांग की खेती (hemp production uttarakhand) में महारत हासिल कर चुके हैं...

भांग की खेती: hemp production uttarakhand namrata and gaurav story
Image: hemp production uttarakhand namrata and gaurav story (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: कभी नशे के लिए बदनाम रहा भांग का पौधा उत्तराखंड में रोजगार का जरिया बन रहा है। भांग की खेती (hemp production uttarakhand) और भांग के रेशे से कई तरह के उत्पाद बनाए जा रहे हैं, जिनकी देश-विदेश में खूब डिमांड है। आज हम आपको पहाड़ के ऐसे दंपती के बारे में बताएंगे, जिन्होंने भांग के जरिए पहाड़ के कई बेरोजगारों की जिंदगी संवार दी। इनका नाम है गौरव और नम्रता। दोनों यमकेश्वर ब्लॉक में रहते हैं। गौरव और उनकी पत्नी नम्रता ने जीपी हेम्प एग्रोवेशन स्टार्टअप शुरू किया है। जिसमें गौरव और नम्रता ना सिर्फ भांग के उत्पाद बना रहे हैं, बल्कि गांव मे इसकी खेती भी कर रहे हैं। यमकेश्वर में भांग के बीजों और रेशों से रोजाना इस्तेमाल होने वाली चीजें बनाई जाती हैं। नम्रता और गौरव शहर में अच्छी सैलरी वाली जॉब कर रहे थे, लेकिन पहाड़ के लिए कुछ करने की चाह उन्हें गांव खींच लाई। वापस लौटने पर दोनों ने भांग के प्रोडक्ट तैयार करना शुरू किया। जिन्हें अच्छा रेस्पांस मिला। दोनों ने उत्तराखंड में हैंप एसोसिएशन बनाई है, जिससे करीब 15 लोग जुड़े हैं। गौरव और नम्रता पेशे से आर्किटेक्ट हैं। दोनों भांग से औषधियां, साबुन, बैग, पर्स जैसे प्रोडक्ट तैयार कर रहे हैं। उनके बनाए प्रोडक्ट्स ने आईआईएम के उत्तिष्ठा-2019 में खूब तारीफ बटोरी थी। आगे भी पढ़िए

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भांग की खेती (hemp production uttarakhand) वास्तव में गजब है। गौरव कहते हैं कि भांग के रेशे से बायो प्लास्टिक भी तैयार किया जा सकता है। इससे बनी पॉलिथीन या बोतल फेंक देने के महज 6 घंटे में नष्ट हो जाती है। अभी भांग के रेशे से तैयार उत्पाद थोड़े महंगे हैं। लेकिन बड़े स्केल पर उद्योग लगाने पर कम लागत में बढ़िया उत्पाद तैयार किए जा सकेंगे। जो कि सस्ते भी होंगे और पर्यावरण के अनुकूल भी। गौरव और नम्रता भांग के उत्पादों की ऑनलाइन मार्केटिंग भी करते हैं। गौरव कहते हैं कि अभी ऋषिकेश में बिकने वाली भांग के रेशे से तैयार टीशर्ट, बैग, ट्राउजर आदि का आयात नेपाल से हो रहा है। अगर हम ये प्रोडक्ट उत्तराखंड में तैयार करने लगें तो ये सस्ते भी होंगे और इससे क्षेत्र के युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। भांग के बीज से कई मेडिसिन बनती हैं। इसका तेल कई बीमारियों का रामबाण इलाज है। भांग के रेशे से कई उत्पाद बनाए जा सकते हैं। गौरव और नम्रता इन दिनों भांग से ईंट बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही पहाड़ में भांग की ईंटों से बने घर और होम स्टे नजर आएंगे। अच्छी बात ये है कि अब पहाड़ के युवा भांग की उपयोगिता समझने लगे हैं। ये अच्छा संकेत है, उत्तराखंड में भांग रोजगार का बढ़िया विकल्प बन सकता है। इस दिशा में अभी काफी काम होना बाकी है।