पौड़ी गढ़वाल: क्वारंटाइन को मजबूरी या जेल समझने वाले लोगों के लिए पौड़ी गढ़वाल के निवासी नेगी परिवार ने समाज के आगे जीती-जागती मिसाल पेश की है। ये तो हम सब जानते ही हैं कि कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन ने जन-जीवन को समेट कर रखा है। ऐसे में जरूरत है एक पॉजिटिव नजरिये को अपनाने की। देखा जाए तो लॉकडाउन और क्वारंटाइन की अवधि का पहाड़ के लोग काफी सदुपयोग करते दिख रहे हैं। सड़क बनाने से लेकर क्वारंटाइन सेंटर में पेंट करने तक ....पहाड़ के हुनरमंद हर जगह अपना हुनर दिखा ही देते हैं। ऐसा ही कुछ पौड़ी गढ़वाल के नेगी परिवार ने कर दिखाया है। क्वारंटाइन में रहते हुए उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के खिर्सू ब्लॉक के असिंगी गांव में सरोज नेगी और उनकी धर्मपत्नी ने महज कुछ ही दिनों में मिल कर अपने गांव के बेजान पड़े प्राथमिक विद्यालय की तस्वीर ही बदल डाली। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हुआ। यह तो आप जानते ही होंगे कि उत्तराखंड के गांव में लौट रहे प्रवासियों को 14 दिन के लिए होम क्वारंटाइन किया जा रहा है। पौड़ी गढ़वाल के खिर्सू ब्लॉक के असिंगी गांव में सरोज नेगी भी अपनी पत्नी कामिनी नेगी और बच्चों संग शहर से वापस लौटे। नियमानुसार उनको गांव में क्वारंटाइन होना पड़ा।
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क्वारंटाइन होने के बाद दोनों पति-पत्नी ने गांव के स्कूल की दयनीय हालत देखी। लॉकडाउन के कारण दो महीने से अधिक खाली पड़े रहने के कारण विद्यालय की सूरत बिल्कुल ही बदल सी गई थी। विद्यालय परिसर में चारों ओर झाड़ियां उग आई थीं। पानी नहीं डालने के कारण फुलवारी के फूल के पौधे भी सूख रहे थे। घास काफी बढ़ गई थी। महज दो महीनों में स्कूल की सूरत ही बदल गई थी। ऐसे में बाकियों की तरह हाथ पर हाथ धरे बैठना नेगी परिवार को मुनासिब नहीं था। सरोज नेगी और उनकी पत्नी कामिनी नेगी ने हिम्मत जुटाई और स्कूल की सूरत को संवारने में लग गए। इस काम मे उनके छोटे-छोटे बच्चों ने भी उनका साथ दिया। पूरे परिवार ने क्वारंटाइन अवधि का सदुपयोग करते हुए विद्यालय के चारों ओर की झाड़ियां काट डालीं, प्रांगण में उगी घास को साफ किया। साथ ही उन्होंने फुलवारी को दिन-रात पानी से सींच कर फूलों को सूखने से बचाया। महज कुछ ही दिनों में नेगी परिवार ने स्कूल को स्वर्ग से सुंदर बना दिया। राजकीय प्राथमिक विद्यालय सिंगी की अध्यापिका आरती रावत जब वहां पहुंचीं तो अपने विद्यालय की सूरत देख कर चौंक गईं। उन्होंने नेगी परिवार की तारीफों के पुल बांधते हुए कहा कि दोनों पति-पत्नी ने समाज के सामने उदाहरण पेश किया है कि किस तरह से समय का सदुपयोग किया जाता है। गांव वाले भी नेगी परिवार के इस कार्य की खूब सराहना कर रहे हैं।