उत्तराखंड पिथौरागढ़Jhulapul opened for 15 minutes in Pithoragarh

उत्तराखंड का दूल्हा, बॉर्डर पार की दुल्हन..सिर्फ 15 मिनट के लिए खुला ऐतिहासिक झूलापुल

भारत और नेपाल का अंतरराष्ट्रीय पुल खोला गया और महज 15 मिनट में दंपति एक दूसरे का हाथ थाम कर और शादी कर वापस भारत वापस लौट आए।

Pithoragarh News: Jhulapul opened for 15 minutes in Pithoragarh
Image: Jhulapul opened for 15 minutes in Pithoragarh (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: भारत और नेपाल के बीच बढ़ रहे तनाव के बारे में हम सभी जानते हैं। उत्तराखंड में भी नेपाल से लगी सीमाओं में सैन्य गतिविधियां तेज हो रखी हैं। दोनों देशों के बीच संबंधों में कटुता है उसके बावजूद भी बीते मंगलवार को भारत और नेपाल का अंतरराष्ट्रीय पुल खोला गया और नेपाल से दुल्हन को लेने दूल्हा और उसके पिता गए और महज 15 मिनट में दंपति एक दूसरे का हाथ थाम कर और शादी कर वापस भारत वापस आ गए। वैसे तो कोरोना काल में कई अनोखी शादियां हुई हैं मगर ऐसी अनोखी शादी तो शायद ही किसी ने देखी होगी। दो देशों के बॉर्डर पर हुई ऐसी एक अनोखी शादी का गवाह पिथौरागढ़ खुद बना। शादी में न बैंड-बाजा था, और न ही किसी प्रकार की आतिशबाजी। बिना ढोल-दमाऊ के शादी संपन्न हुई। बगैर बारात के दूल्हा अपने पिता के साथ नेपाल के दार्चूला पहुंचा और बिना रीति-रिवाजों के महज 15 मिनट में विवाह संपन्न हो गया।

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ऐसा अनोखा विवाह अगर संभव हो पाया है दोनों देशों की सहमति के बाद। भारत और नेपाल प्रशासन की मंजूरी के बाद ही महज 15 मिनट के लिए अंतरराष्ट्रीय पुल को खोला गया और नेपाल से दुल्हन को भारत लाया गया। चलिए आपको संक्षिप्त से घटना की जानकारी देते हैं। पिथौरागढ़ के कमलेश चंद और नेपाल दार्चूला के राधिका का विवाह 22 मार्च को होना तय हुआ था। दोनों ही पक्षों के बीच उत्साह का माहौल था मगर बीच में लॉकडाउन आ गया और सभी तैयारियों के ऊपर पानी फिर गया और विवाह स्थगित हो गया। जिसके बाद यह निर्णय लिया गया कि विवाह बिना किसी शोर-शराबे के, बिना मेहमानों के, रीति-रिवाज के संपन्न किया जाएगा। दोनों पक्षों के बीच सहमति बनी और दोनों पक्षों ने प्रशासन से विवाह की अनुमति ली।

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नेपाल के दार्चूला की राधिका को भारत लाने के लिए कमलेश बिना बारात के महज अपने पिता के साथ नेपाल के दार्चूला पहुंचा। भारत-नेपाल प्रशासन ने 15 मिनट के लिए अंतरराष्ट्रीय पुल खोला। दूल्हा अपनी जीवन संगिनी को लेने नेपाल गया और बिना रीति-रिवाज के महज जयमाला डाल कर, 6 से 7 घंटे में संपन्न होने वाला विवाह 15 मिनट में संपन्न हो गया। फिर नव दंपति विवाह करके वापस भारत लौट आए। कमलेश और राधिका ने यह कभी सपने में भी यह नहीं सोचा होगा कि उन्हें इस तरह से अनोखा विवाह करके एक-दूसरे का हाथ थामना होगा। झूलापुल पहुंचने पर सीमा पर तैनात जवानों ने उनको शुभकामनाएं दीं और नवदंपति ने विवाह की अनुमति मिलने पर भारत-नेपाल प्रशासन का आभार व्यक्त किया।