पिथौरागढ़: पहाड़ में मानसूनी बारिश लगातार तबाही मचा रही है। हर जगह से जलप्रलय की तस्वीरें आ रही हैं। बादलों का रौद्र रूप देखकर लोग डरे हुए हैं। गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक कोहराम मचा है। चमोली जिले में भी बारिश का कहर जारी है। यहां अतिवृष्टि के चलते थराली में जमकर तबाही हुई। वहीं पिथौरागढ़ के मुनस्यारी क्षेत्र में छुट्टी पूरी कर यूनिट लौट रहे आईटीबीपी जवान की नाले में बहने से मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक आईटीबीपी का जवान छुट्टी पर घर आया हुआ था। छुट्टी खत्म होने पर वो वापस आईटीबीपी यूनिट में लौट रहा था। इस दौरान जवान उफनते नाले के बीच फंस गया। जवान की नाले में बहने से मौत हो गई। हादसे में जवान का भाई भी गंभीर रूप से घायल हुआ है। उसका स्थानीय अस्पताल में इलाज चल रहा है।
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उधर चमोली के थराली में हर तरफ मलबा पसरा हुआ है। पैदल मार्ग, सिंचाई नहर और पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त हो गईं हैं। यहां मूसलाधार बारिश होने से एक पुलिया बह गई। दो पैदल रास्ते क्षतिग्रस्त हो गए। कुरालु गांव में एक गोशाला भी क्षतिग्रस्त हुई है। मलबे में तीन पशु दब गए। एक भवन आंशिक रूप से ध्वस्त हुआ है। प्रदेश में हर तरफ आपदा जैसे हालात नजर आ रहे हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन की वजह से परेशानी बढ़ी है तो वहीं मैदानी क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। बीते दिनों भारी बारिश के कारण प्रदेश में चार राष्ट्रीय राजमार्ग समेत 311 सड़कें बंद हो गई थीं। कई सड़कें ध्वस्त हो गई थीं। 212 सड़कें पहाड़ों से मलबा आने से बाधित हो गई थीं। मंगलवार तक इनमें से 99 सड़कों को खोल दिया गया है। आगे पढ़िए
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लोक निर्माण विभाग सड़कों को हुए नुकसान का आंकलन कर रहा है। वहीं मौसम विभाग ने गुरुवार और शुक्रवार के लिए भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है। 9 जिलों के लिए अगले दो दिन मुश्किल भरे रहेंगे। मौसम विभाग ने पिथौरागढ़, बागेश्वर, चमोली, नैनीताल, ऊधमसिंहनगर, पौड़ी, टिहरी, देहरादून और हरिद्वार जिलों में भारी बारिश का अनुमान जताया है। कुछ जगहों पर बिजली गिरने की भी आशंका है। इन दिनों उत्तराखंड में नदियां-नाले उफनाए हुए हैं। हरिद्वार-ऋषिकेश में गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। जलस्तर बढ़ने से गंगा के किनारे के गांवों में बसे लोग खौफ के साये में हैं। पहाड़ों पर लगातार हो रही बारिश की वजह से देहरादून में रिस्पना नदी का जलस्तर बढ़ गया है। शासन ने सभी जिलों को सावधान रहने की सलाह दी है। साथ ही अधिक ऊंचाई वाले और पहाड़ी क्षेत्रों में लोगों की आवाजाही नियंत्रित करने के निर्देश भी दिए गए हैं।