उत्तराखंड पिथौरागढ़Good work for the vikas singh of Pithoragarh

पहाड़ में 15 साल के बच्चे ने दिखाया सिस्टम को आइना..खुद ही भर दिए सड़कों के गड्ढे

पिथौरागढ़ के नाचनी में एक 15 वर्ष के महज दसवीं में पढ़ने वाले छात्र ने कुछ ऐसा करिश्मा कर दिखाया है जिस वजह से पूरे गांव में उसकी वाह-वाही हो रही है।

Pithoragarh News: Good work for the vikas singh of Pithoragarh
Image: Good work for the vikas singh of Pithoragarh (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: उत्तराखंड का दुर्भाग्य है कि उत्तराखंड राज्य में अब तक कई ग्रामीण क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर सड़कों की कंडीशन बेहद खराब है। शहरों में दूर-दूर तक पक्की सड़कें देखने को मिलती हैं। मगर यही सड़कें हैं जो उत्तराखंड के कई ग्रामीण क्षेत्रों एक बेशकीमती चीज बन जाती हैं। कई सड़कें बन जाती हैं तो उसके बाद सरकार अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेती है। सड़क बनाने के बाद कोई मुड़ के उसकी खराब हालत नहीं देखता। कई लोग सिस्टम की इस नाकामी के साथ सालों रह लेते हैं तो कई लोग सिस्टम को आईना दिखाने के लिए कुछ ऐसा कर जाते हैं जिसके बारे में कुछ सपने में भी नहीं सोच सकता। ऐसा ही कुछ उत्तराखंड के महज 15 वर्ष के दसवीं कक्षा के बच्चे ने कर दिखाया है। हम बात कर रहे हैं पिथौरागढ़ के नाचनी के एक 15 वर्षीय किशोर की जिसने इतनी कम उम्र में सिस्टम को जबरदस्त आईना दिखाया है। हम बात कर रहे हैं पिथौरागढ़ के 15 वर्षीय किशोर विकास सिंह की। उसने वाकई अपने नाम की तरह ही अपने गांव में विकास कर दिया है और सिस्टम को आत्मनिर्भरता का सबक सिखाया है। उन्होंने अकेले अपने गांव के ऊबड़खाबड़ सड़क के मार्ग पर बने लगभग 10 गड्ढे भर दिए हैं जिसको पूरे गांव ने सराहा है। यह गड्ढे लंबे समय से वाहनों की आवाजाही में अड़ंगा बन रहे थे जिनको विकास ने अकेले ही दुरुस्त कर दिया है।

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प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत तल्ला जोहार में नाचनी से बांसबगड़ सड़क अपनी कई कमियों को लेकर हमेशा चर्चा में रहती है। हर वर्ष मानसून काल में यह सड़क लंबे समय तक बंद रहती है क्योंकि बारिश से सड़क में जगह-जगह गड्ढे पड़ जाते हैं जो कि वाहनों की आवाजाही में बड़ा रोड़ा बनकर सामने आते हैं। बता दें कि इस सड़क से लगभग 30,000 से अधिक की आबादी जुड़ी हुई है। मॉनसून के सीजन में इस सड़क पर इस कदर पानी भर जाता है कि यह सड़क वाहनों की आवाजाही के लिए बंद हो जाती है। इस समय भी सड़क छोटे वाहनों के लिए खुली है परंतु मार्ग में 8 से 10 स्थानों पर सड़क में बड़े-बड़े गड्ढे बने हुए हैं। सड़क पर चलने वाले वाहन चालक और स्थानीय जनप्रतिनिधि समेत जनता इन गड्ढों को लेकर आए दिन सरकार से शिकायत करती रहती है मगर आज तक इन गड्ढों को दुरुस्त नहीं किया जा सका

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मगर गांव के ही एक 15 वर्षीय किशोर विकास सिंह ने किसी भी तरीके की बाहरी मदद के इंतजार में समय गंवाना ठीक नहीं समझा और हाथ पर हाथ धरे बैठने की बजाय उसने खुद अपने बलबूते पर ही सड़क बनाने की ठानी। विकास सिंह ने पूरे मार्ग पर बने गड्ढे मिट्टी और पत्थरों से पाट दिए हैं। बुधवार कि सुबह से ही अकेले विकास ने मार्ग पर बने लगभग 10 गड्ढे जो वाहन संचालन के बीच में बाधक बन रहे थे उनको भर दिया है जिससे गांव के सभी लोगों ने उनकी काफी सराहना की है। बता दें कि विकास मूल रूप से चंपावत जिले के देवीधूरा के निवासी हैं और उनके पिता लोधियाल नाचनी वन विभाग में तैनात है। वह अपने पिता के साथ रहते हैं और कक्षा 10 के छात्र हैं। विकास ने कहा कि जब सड़क के सुधारीकरण में किसी भी तरीके का रिस्पांस नहीं मिला तो उन्होंने खुद ही सड़क को ठीक करने की ठानी और अकेले ही सड़क दुरुस्त करने में जुट गए। ऐसे ही युवा उत्तराखंड की उम्मीद है कि आने वाले भविष्य सुरक्षित हाथों में है। विकास का कहना है कि उन्होंने हाथ पर हाथ धरे बैठने की बजाए सड़क को दुरुस्त करने की ठानी और आखिरकार अब यह सड़क आवाजाही के लिए ठीक हो चुकी है। उन्होंने कहा कि सड़क एक सार्वजनिक संपत्ति है और इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सभी की होती है। हमें कभी भी अपने कर्तव्यों से मुंह नहीं फेरना चाहिए। अगर आपको सरकार की ओर से कोई मदद ना मिले तो जनता को एकजुट होकर काम करना चाहिए और किसी के ऊपर भी निर्भर नहीं होना चाहिए।