उत्तराखंड देहरादूनSumit Raj Kandwal Army Officer

बधाई: गढ़वाल के कुलेथा गांव का सपूत बना आर्मी अफसर, अरुणाचल में होगी पहली पोस्टिंग

यमकेश्वर के कुलेथा गांव के मूल निवासी सुमित राज कंडवाल हाल ही में देहरादून के आईएमए में हुई पासिंग आउट परेड के बाद सेना में अफसर के तौर पर चुने गए हैं।

Dehradun IMA: Sumit Raj Kandwal Army Officer
Image: Sumit Raj Kandwal Army Officer (Source: Social Media)

देहरादून: भारतीय सेना में उत्तराखंड के नौजवानों का योगदान पूरे भारत में सबसे अधिक है। शायद इसीलिए उत्तराखंड को सैन्य भूमि भी कहा जाता है और यह भूमि कई युवाओं के लिए कर्मभूमि भी है। इसी देवभूमि उत्तराखंड के कई युवा भारतीय सेना में शामिल होते हैं और राज्य का नाम गर्व से ऊंचा कहते हैं। हाल ही में देहरादून स्थित आईएमए के अंदर पासिंग आउट परेड का आयोजन हुआ और परेड में उत्तराखंड के युवाओं का वर्चस्व देखने को मिला। उत्तराखंड के कई युवा पासिंग आउट परेड के बाद सेना में अफसर के तौर पर चुने गए जो कि उत्तराखंड के लिए बेहद गर्व की बात है। भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में बीते शनिवार को माहौल बहुत खुशनुमा रहा। भारतीय सैन्य अकादमी में कल देश को नई जांबाज मिले जो कि देश के लिए एक गौरवान्वित पल रहा। पासिंग आउट परेड में शामिल रहे युवाओं के बीच में देश के प्रति प्रेम का जज्बा साफ दिखाई दे रहा था उनके परिवार वालों के चेहरे पर खुशी के भाव भी स्प्ष्ट झलक रही थे।

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इन्हीं जाबाजों में से एक जांबाज है यमकेश्वर के कुलेथा गांव के मूल निवासी सुमित राज कंडवाल जो कि सेना में अफसर के तौर पर चुने गए हैं और उनके कंधों पर सितारे भी सज गए हैं। परेड के दौरान उनकी दादी भी उनको देखने मौजूद थीं। अपने पोते को परेड में देखकर उनकी दादी के चेहरे की भाव देखने लायक थे। सुमित राज कंडवाल ने बताया कि उनके दादी के आशीर्वाद से ही आज वे अपने इस सपने को सच कर पाए हैं। वे मूल रूप से पौड़ी जिले के यमकेश्वर के गांव कुलेथा के निवासी हैं और उनके पिता दीपक राज कंडवाल पशुपालन विभाग में डिप्लोमा इंजीनियर के पद पर तैनात हैं। पासिंग आउट परेड के बाद सेना में अफसर चुने जाने वाले सुमित राज कंडवाल ने 12वीं के बाद एनडीए में चयनित होकर 3 साल प्रशिक्षण के बाद 2019 में देहरादून के भारतीय सैन्य अकादमी में प्रशिक्षण लिया। सुमित राज कंडवाल की पोस्टिंग सिख लाइट इन्फेंट्री रेजीमेंट अरुणाचल प्रदेश में होनी है। उनका परिवार उनकी इस उपलब्धि से बहुत खुश है। सुमित अपनी कामयाबी का श्रेय अपनी दादी और अपने स्वर्गीय दादाजी को देते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी दादी के आशीर्वाद की वजह से ही आज वे भारतीय सेना में शामिल हो पाए हैं।