उत्तराखंड उत्तरकाशीUttarkashi SDM Devendra Singh Negi

पहाड़ में देवेंद्र सिंह नेगी जैसे SDM भी हैं, आज गांव गांव के लोग इनके मुरीद हैं

अगर दूसरे अफसर भी एसडीएम देवेंद्र सिंह नेगी की तरह जनता की सेवा को ड्यूटी से ज्यादा अपनी जिम्मेदारी समझने लगें तो पहाड़ के हालात बदलते देर नहीं लगेगी।

Uttarkashi SDM Devendra Singh Negi: Uttarkashi SDM Devendra Singh Negi
Image: Uttarkashi SDM Devendra Singh Negi (Source: Social Media)

उत्तरकाशी: सरकारी अफसर होना सिर्फ एक ओहदा भर नहीं, बल्कि जिम्मेदारी है। अफसर जनता की सेवा के लिए हैं, लेकिन आज भी आम लोग बड़े अफसरों से मिलते हुए डरते हैं। उनके रौब और रुतबे से घबराते हैं, हालांकि इस मामले में अपने उत्तराखंड में स्थिति फिर भी बेहतर है। यहां ऐसे कई अफसर हैं जो जनता के बीच पहुंचकर सरकारी कारिंदों को लेकर बनी नेगेटिव छवि को बदलने के प्रयास में जुटे हैं। उत्तरकाशी के एसडीएम देवेंद्र सिंह नेगी ऐसे ही अफसरों में शामिल हैं। उन्हें सरल व्यवहार और मानवीय संवेदनशीलता के लिए जाना जाता है। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने सीमांत क्षेत्र में ऐसे शानदार काम किए, जिनकी सालों तक मिसाल दी जाएगी। लॉकडाउन के दौरान लोगों के सरकारी काम नहीं हो पा रहे थे। ऐसे में लोगों का समय बचाने और उनकी मदद के लिए एसडीएम देवेंद्र नेगी ने सैकड़ों फरियादियों से आवेदन वॉट्सएप पर ही मंगवाए। जिन लोगों और वाहनों को आवाजाही की अनुमति दी जानी थी, उन्हें वॉट्सएप पर ही अनुमति पत्र भेजे गए। दरअसल लॉकडाउन के दौरान असली समस्या ग्रामीण लोगों के लिए थी। गाड़ियां नहीं चल रही थीं। ऐसे में गांव वाले जिला मुख्यालय और तहसील मुख्यालय कैसे आते। अगर किसी तरह आ भी जाते तो वापस लौटने की भी समस्या थी।

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आमजन की इस समस्या को एसडीएम देवेंद्र सिंह नेगी ने बखूबी समझा और उनकी मदद के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट वॉट्सएप का सहारा लिया। एसडीएम देवेंद्र सिंह नेगी मूलरूप से पौड़ी जिले के द्वारीखाल क्षेत्र के रहने वाले हैं। लॉकडाउन के समय को उन्होंने चुनौती की तरह स्वीकार किया। उन्होंने कोरोना संक्रमण रोकथाम के लिए लॉकडाउन को प्रभावी ढंग से लागू किया, साथ ही प्रशासनिक कर्तव्य भी बेहतर ढंग से निभाए। जिला मुख्यालय पहुंचने पर प्रवासियों के ठहरने की व्यवस्था, होम क्वारेंटीन की व्यवस्था और कोरोना पॉजिटिव मिले लोगों के लिए क्वारेंटीन सेंटर बनाने और उनके संचालन की जिम्मेदारी भी प्रशासन ने बखूबी निभाई, और इसमें एसडीएम देवेंद्र सिंह नेगी का महत्वपूर्ण योगदान रहा। लॉकडाउन के दौरान भटवाड़ी तहसील के 11 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव मिले। एक वरिष्ठ लिपिक और एक राजस्व उप निरीक्षक की कोरोना संक्रमण से मौत भी हुई। ऐसे में एसडीएम देवेंद्र नेगी के सामने कई चुनौतियां थीं, लेकिन क्योंकि ज्यादातर अनुमतियां और दूसरे काम तहसील से ही पूरे हो रहे थे। इसलिए लॉकडाउन के दौरान एसडीएम देवेंद्र नेगी ने एक दिन भी तहसील बंद नहीं रखी। राज्य समीक्षा टीम एसडीएम देवेंद्र सिंह नेगी जैसे जुझारू अफसर को सैल्यूट करती है। अगर दूसरे अफसर भी उनकी तरह जनता की सेवा को ड्यूटी से ज्यादा अपनी जिम्मेदारी समझने लगें तो पहाड़ के हालात बदलते देर नहीं लगेगी।