उत्तराखंड रुद्रप्रयागPeople of gaurikund made kund by themselves

मिसाल: केदारनाथ आपदा में तबाह हुआ था पवित्र गौरीकुंड..स्थानीय लोगों ने अपने दम पर फिर से बना लिया

8 साल के बाद एक बार फिर से केदारनाथ यात्रा के लिए आने वाले श्रद्धालु इस पवित्र तप्तकुंड में स्नान कर यात्रा का शुभारंभ कर पाएंगे।

Gaurikund: People of gaurikund made kund by themselves
Image: People of gaurikund made kund by themselves (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: जहां चाह वहां राह...रुद्रप्रयाग के गौरीगांव के लोगों ने इस कहावत को सच कर दिखाया है और उन्होंने एकता के बल पर यह साबित कर दिया है कि अगर आत्मविश्वास के साथ कुछ चाहो तो उसको पाना नामुमकिन नहीं होता। उन्होंने बिना सरकार और प्रशासन की मदद से 2013 की आपदा में पूरी तरह तबाह हो चुके तप्तकुंड का पुनर्निर्माण कर दिखाया है। बता दें कि यह वही तप्तकुंड है जिसके गर्म पानी में स्नान करने के पश्चात केदारनाथ यात्रा आरंभ करना शुभ माना जाता था। इस तप्तकुंड से जुड़ी एक अहम धार्मिक मान्यता भी है। कहा जाता है कि इस तप्तकुंड में महादेव की अर्धांगिनी पार्वती जी स्नान किया करती थीं। आपको याद होगा कि 2013 में केदारनाथ में जबरदस्त त्रासदी हुई थी और हाहाकार मच गया था। केदारनाथ में आई आपदा से जनजीवन के साथ और भी कई नुकसान हुए। इमारतें की इमारतें पानी में बह गईं। 2013 में आई केदारनाथ आपदा में गौरीकुंड में बना तप्तकुंड भी तबाह हो गया था। 2013 के पहले तक इस पवित्र जलकुंड में स्नान करने के बाद ही भक्तों की केदारनाथ यात्रा पर जाने की परंपरा रही थी। मगर आपदा के दौरान यह तप्तकुंड पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था और इसी के साथ उसका पानी भी 40 मीटर नीचे मंदाकिनी नदी के तट पर चला गया था।

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गौरी गांव के ग्रामीण लंबे समय से सरकार से इस तप्तकुंड का पुनर्निर्माण करवाने की अपील कर रहे थे मगर 2013 से सरकार ने इस तप्तकुंड के निर्माण की सुध नहीं ली है। इसके बाद ग्रामीणों ने सरकार को आईना दिखाते हुए खुद ही श्रमदान से तप्तकुंड का निर्माण पूरा कर लिया है। जी हां, 8 साल के बाद एक बार फिर से केदारनाथ में चल रही बरसों की परंपरा को श्रद्धालु पूरा कर पाएंगे और इस साल एक बार फिर से केदारनाथ यात्रा के लिए आने वाले श्रद्धालु इस पवित्र तप्तकुंड में स्नान कर यात्रा का शुभारंभ कर पाएंगे। जब सरकार ने तप्तकुंड के निर्माण के ऊपर 8 सालों तक ध्यान नहीं दिया तब ग्रामीणों ने एक साथ मिलकर तप्तकुंड के पुनर्निर्माण का निर्णय लिया और उन्होंने जो ठाना वह करके भी दिखाय। ऐसा करके उन्होंने ना केवल सरकार को आईना दिखाया है बल्कि यह भी साबित कर दिया है कि अगर सच में कुछ करने की ठान लो तो आप जरूर सफल होते हो।

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ग्रामीणों का कहना है कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन केवल केदारनाथ धाम पर ही ध्यान देते हैं मगर इन सब अहम पड़ाव के ऊपर कोई भी ध्यान नहीं देता है। वे सरकार से 8 साल से इस तप्तकुंड के निर्माण की बात कर रहे हैं मगर सरकार अपने टालु रवैये के कारण इस तप्तकुंड का निर्माण अब तक नहीं करा सकी है। सरकार ने वुड स्टोन कंस्ट्रक्शन कंपनी को इसके निर्माण का जिम्मा दिया था मगर धनराशि अधूरी होने के कारण इसका कार्य आधा ही छोड़ दिया गया। मगर अब गौरी गांव के लोगों ने अपने श्रमदान से कच्चे तप्तकुंड का निर्माण किया है और ग्रामीणों का कहना है कि अब केदारनाथ धाम में आने वाले यात्री इस तप्तकुंड में स्नान कर यात्रा शुरू कर पाएंगे और वर्षों से चली आ रही परंपरा एक बार फिर से शुरू हो पाएगी। ग्रामीणों ने अब सरकार से उनके द्वारा निर्मित किए गए इस कच्चे तप्तकुंड को पक्का करवाने की मांग की है। ग्रामीणों ने मिलकर कच्चा ही सही लेकिन 8 साल से ना बनने वाला तप्तकुंड का निर्माण कर दिया है और सरकार को आईना दिखा दिया है। अब यह सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि इस कच्चे तप्तकुंड को पक्का करने का कार्य जल्द से जल्द शुरू करें।