उत्तराखंड रुद्रप्रयागWater conservation in Luthiyag village of Rudraprayag

रुद्रप्रयाग: लुठियाग गांव की महिलाओं ने पेश की मिसाल..राष्ट्रीय स्तर पर मिल चुका है पहला स्थान

लुठियाग गांव में जंगल घट रहे थे, जल स्त्रोत सूख रहे थे। हालात बिगड़ते गए तो यहां की महिलाओं ने जलस्त्रोतों को पुनर्जीवित करने की ठान ली। आगे पढ़िए पूरी खबर

Rudraprayag News: Water conservation in Luthiyag village of Rudraprayag
Image: Water conservation in Luthiyag village of Rudraprayag (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: जल ही जीवन है। कितनी हैरत की बात है कि हमारा जीवन पानी पर टिका है, लेकिन हम इसके संरक्षण की बहुत ज्यादा परवाह नहीं करते। रुद्रप्रयाग जिले का एक गांव भी कुछ साल पहले तक सूखे की मार झेल रहा था। जंगल घट रहे थे, जल स्रोत सूख रहे थे। पानी के लिए महिलाओं को कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था। हालात बिगड़ते गए तो यहां की महिलाओं ने जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने की ठानी। महिलाओं ने चाल-खाल यानी छोटी झील बनाकर बारिश के पानी का संरक्षण किया। जिससे सूख चुके प्राकृतिक जल स्त्रोत को पुनर्जीवित करने में मदद मिली। इस गांव का नाम लुठियाग है। जखोली ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले इस गांव की महिलाओं ने जल संरक्षण की मिसाल पेश की है। महिलाओं ने गांव में जो चाल-खाल बनाए उनसे गांव में पीने के पानी की किल्लत दूर हो गई, सिंचाई के लिए भी पानी मिलने लगा। गांव की महिलाओं द्वारा किए गए जल प्रबंधन की तारीफ खुद पीएम नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं। इससे पहले इस गांव को जल प्रबंधन व जल संरक्षण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पहला स्थान प्राप्त हो चुका है। ग्राम पंचायत को पुरस्कार स्वरूप 2 लाख रुपए की धनराशि भी प्रदान कर दी गई थी। चिरबटिया-लुठियाग गांव उच्च हिमालयी क्षेत्र में बसा है। आगे पढ़िए

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साल 1991 में आए भूकंप से गांव का मुख्य पेयजल स्त्रोत ध्वस्त हो गया था। यहां सिर्फ बरसात में पानी मिलता था। पानी के लिए महिलाओं को 3 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था। साल 2014 में यहां राज राजेश्वरी ग्राम कृषक समिति का गठन किया गया। समिति ने गांव के हर घर तक जलापूर्ति का संकल्प लिया और इस दिशा में काम शुरू कर दिया। कई महीनों की मेहनत के बाद ग्रामीणों ने यहां 40 मीटर लंबी और 18 मीटर चौड़ी खाल का निर्माण किया। साल 2015 में इस झील में पांच लाख लीटर वर्षा जल इकट्ठा हुआ। जिससे पेयजल स्त्रोत रिचार्ज होने लगे। पिछले तीन साल से इस झील में 11 लाख लीटर पानी संरक्षित हो रहा है। इसमें ग्राम प्रधान दीपक कैंतुरा, पूर्व ग्राम प्रधान सीता देवी, रूप सिंह कैंतुरा, खजानी देवी, अनीता देवी और बसंती देवी का सहयोग महत्वपूर्ण रहा। भारत सरकार ने भी इसकी प्रशंसा की थी। पीएम मोदी ने भी मन की बात कार्यक्रम में यहां की महिलाओं द्वारा किए गए काम को सराहा था। इस तरह ग्रामीणों की एकजुटता से 204 परिवारों वाले इस गांव में अब सालभर पर्याप्त जलापूर्ति हो रही है। किसान हर साल दो से तीन फसलों का उत्पादन कर रहे हैं। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधरी है।