बागेश्वर: मन में परोपकार की भावना हो तो चुनौतियों को सफलता में बदलते देर नहीं लगती। अब बागेश्वर की जशोदा देवी को ही देख लें। जशोदा देवी बमराड़ी गांव की प्रधान रह चुकी हैं, अपने गांव को पेयजल संकट से उबारने के लिए इन्होंने जो किया, उसकी सालों तक मिसाल दी जाएगी। जशोदा नगरकोटी की कोशिशों की बदौलत गांव में पेयजल किल्लत दूर हुई। सिंचाई के लिए पानी मिलने लगा। सीमांत जिले बागेश्वर में एक गांव है बमराड़ी। यहां की जनसंख्या करीब 700 है, गांव में लगभग 260 परिवार रहते हैं। कहने को ये गांव गोमती तट के किनारे पर बसा है, बावजूद इसके गर्मी का सीजन शुरू होते ही यहां पानी के लिए हाहाकार मच जाता था। दरअसल बैजनाथ में एक कृत्रिम झील बनाई गई है, जब से ये झील बनी है गोमती नदी सूखने के कगार पर है। इसका सबसे ज्यादा असर बमराड़ी गांव पर पड़ रहा था। गर्मी में यहां न तो पीने के लिए पानी मिलता था, न सिंचाई के लिए। गांव वालों की जिंदगी पानी के अभाव में जैसे-तैसे कट रही थी। इस बीच साल 2014 में चुनाव हुए और जशोदा देवी नगरकोटी गांव की प्रधान चुन ली गईं। आगे पढ़िए
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गांव की प्रधान बनते ही जशोदा देवी ने जल संरक्षण के लिए काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने गांव में आधा दर्जन से ज्यादा जल स्रोतों का निर्माण, मरम्मत और संरक्षण किया। उन्होंने पन्याल द्यो, सिमार स्त्रोत का संरक्षण किया, जिससे आज 150 परिवारों को पीने का पानी मिल रहा है। समार सेरा के लिए सिंचाई का हेड और नहर की मरम्मत कराई गई। छोटी ऐराड़ी के खाड़ स्रोत के संरक्षण के साथ सुनागाड़ गधेरा पर सिंचाई हेड का निर्माण किया गया। जशोदा देवी ने कई नहरों की मरम्मत भी कराई। नतीजा, आज बमराड़ी गांव में घर-घर में पानी आ रहा है। सिंचाई के लिए भी पर्याप्त पानी मिल रहा है, जिससे फसलें लहलहा रही हैं। जिला पंचायत अधिकारी बसंत सिंह मेहता ने भी उनके काम को सराहा। उन्होंने कहा कि जिले में कई महिला प्रधान जल संरक्षण के लिए बेहतर काम कर रही हैं। बमराड़ी की पूर्व प्रधान जशोदा देवी का काम वाकई सराहनीय है। वो दूसरे लोगों के लिए मिसाल बनकर उभरी हैं।