देहरादून: उत्तराखंड का खूबसूरत शहर मसूरी। आमतौर पर शांत माने जाने वाले इस शहर में सोमवार का दिन बवाल और प्रदर्शन के नाम रहा। यहां प्रशासन के अतिक्रमण हटाओ अभियान के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए। प्रशासन के विरोध में जमकर नारेबाजी की। पुलिस-प्रशासन ने अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई नहीं रोकी तो लोग पुलिस की गाड़ी के आगे लेट गए। इस दौरान प्रभावितों के चेहरे पर लाचारी साफ नजर आई। बुजुर्ग-महिलाएं अधिकारियों से रो-रोकर घरों को ना ढहाने की मिन्नतें करते दिखे। सोमवार को मसूरी में शिफन कोर्ट से बेघर हुए लोगों और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पालिका प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। प्रभावितों ने आप के नेतृत्व में प्रशासन के खिलाफ विरोध रैली निकाली।
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प्रदर्शन को लेकर पुलिस पहले से सतर्क थी। जैसे ही रैली गांधी चौक के पास पहुंची, पुलिस ने रैली को रोक लिया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच तीखी झड़प हुई। हंगामा शांत करने के लिए पुलिस ने आप पार्टी के मसूरी विधानसभा प्रभारी नवीन प्रसाली को हिरासत में ले लिया। जिसके बाद पुलिस के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। प्रदर्शनकारी पुलिस की जीप के आगे लेट गए और पुलिस का घेराव किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन और सरकार के खिलाफ खूब नारेबाजी की। यहां आपको पूरा मामला भी जानना चाहिए। मसूरी के शिफन कोर्ट में सरकारी भूमि पर बस्ती बसी हुई है। जहां इस वक्त 84 परिवार रह रहे हैं। दून-मसूरी रोपवे परियोजना के लिए यहां से अतिक्रमण हटाए जाने के निर्देश दिए गए थे।
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नगर पालिका ने यहां रह रहे परिवारों को वर्ष 2018 में हटने के नोटिस दिए थे। जिसके खिलाफ लोग हाईकोर्ट गए, लेकिन 17 अगस्त को याचिका खारिज हो जाने के बाद डीएम के आदेश पर सोमवार सुबह प्रशासन की टीम अतिक्रमण हटाने शिफन कोर्ट पहुंच गई। पुलिस के सैकड़ों जवानों और नगर निगम के डेढ़ सौ कर्मचारियों की टीम जैसे ही लाइब्रेरी स्थित शिफन कोर्ट में अवैध कब्जों को हटाने पहुंची तो विरोध शुरू हो गया। कार्रवाई के पहले दिन ऐसे दस घरों को तोड़ा गया, जिनमें कोई नहीं रह रहा था। इस दौरान टीम को लोगों के भारी विरोध का सामना भी करना पड़ा। हालांकि राजनैतिक हस्तक्षेप के बाद कुछ परिवारों ने खुद ही अतिक्रमण हटाने की बात कही है। जिसके लिए इन परिवारों को 10 सितंबर तक का समय दे दिया गया है।