उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालHans Foundation Hospital doctor faces serious allegations

गढ़वाल: हंस फाउंडेशन के डॉक्टर पर गंभीर आरोप, ग़लत ऑपरेशन से महिला का हाथ खराब!

सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या निःशुल्क सेवा के नाम पर इस तरह से गरीबों लोगो की जिंदगी से खिलवाड़ किया जाएगा?

Hans Foundation Hospital: Hans Foundation Hospital doctor faces serious allegations
Image: Hans Foundation Hospital doctor faces serious allegations (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: जनपद पौड़ी के सतपुली के चमोलूसैण में बसा 150 बेड का मल्टिस्पेशियालिटी आधुनिक हॉस्पिटल द हंस फ़ाउंडेशन हॉस्पिटल पहाड़ के गरीबों व असहाय लोगो की सेवा के लिए बनाया गया है..अस्पताल में चिकित्सा सेवाएं सब्सिडाइज़्ड दरों पर और ज़रूरतमंद लोगों के लिए मुफ़्त में भी उपलब्ध हैं। मगर इस अस्पताल की बड़ी लापरवाही सामने आई है। द हंस फ़ाउंडेशन हॉस्पिटल सतपुली में एक डॉक्टर पर आरोप है की उसने एक महिला को दिव्यांग बनने को मजबूर कर दिया! दरअसल तहसील सतपुली निवासी मीना देवी का दहिना हाथ फ्रैक्चर हुआ था, जिसका इलाज कराने मीना देवी व उनके पति धनीराम धस्माना द हंस फाउंडेशन सतपुली गए,जंहा 28 मार्च 2019 को आए थे। आरोप है कि डॉक्टर मनोज त्यागी ने पहले तो मरीज के पति से जमकर बदतमीजी की और ऑपरेशन करने से साफ मना कर दिया। जब महिला के पति अस्पताल के प्रभारी चिकित्सक से मिले तो तब महिला का हाथ का ऑपरेशन किया गया और हाथ मे रॉड डाली गई। महिला के पति के अनुसार हाथ मे रॉड डालने की कोई जरूरत ही नहीं थी क्योंकि हाथ का फ्रेक्चर छोटा सा था। आगे पढ़िए

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वहीं जब ऑपरेशन के कुछ दिन बाद महिला का हाथ दर्द होने लगा तो महिला अस्पताल के चक्कर लगाने लगी। बताया गया है कि अस्पताल की और से मरीज को दर्द कम करने की दवा दी जाती थी। मरीज एक वर्ष तक अस्पताल के चक्कर लगा लगा कर थक गई ,महिला और उसके पति अपनी शिकायत लेकर द हंस फाउंडेशन के उत्तराखंड प्रभारी श्री पदमेंद्र सिंह बिष्ट के पास गए। आज तक इस पर कोई भी कार्यवाही नही की गई, जिससे मजबूर व गरीब महिला ने अपनी शिकायत पीएमओ,स्वास्थ्य सचिव भारत सरकार,राज्यपाल उत्तराखंड व मुख्य चिकित्सा अधिकारी पौड़ी को अपनी शिकायत लिखी। पीएमओ व स्वास्थ्य सचिव भारत सरकार द्वारा महिला को पत्र मिला.. जिसमें उच्च स्तर से जांच की बात कह गई थी। आज तक यह जांच सिर्फ फाइलों में रेंग रही है और महिला आज एक हाथ से विकलांग बन गई है। आगे पढ़िए

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अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या निःशुल्क सेवा के नाम पर इस तरह से गरीबों लोगो की जिंदगी से खिलवाड़ किया जाएगा? क्या द हंस फाउंडेशन अस्पताल अपनी ऊंची पहुंच के चलते इस तरह से गरीब लोगों को पैसे की पावर से विकलांग बनाता जाएगा? जब इस मामले पर हमारे संवाददाता ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी पौड़ी से बात करनी की कोशिस की तो उनके द्वारा फोन नही उठाया गया। वहीं जब हंस फाउंडेशन सतपुली के प्रभारी चिकित्सक एम मिन्हास का पक्ष जानने के लिए अस्पताल पहुंचा, तो उनके द्वारा मिलने से साफ इनकार किया गया और फ़ोन पर ही बात करने को कहा गया। डॉक्टर एम मिन्हास का कहना था, हमारे द्वारा मरीजों को दुबारा से इलाज और उनका हर्जाना देने को कहा गया मगर मरीज किसी भी तरह से मानने को तैयार नही है
"मरीज के हाथ का ऑपरेशन सही हुआ है,फिर भी हम मरीज का दोबारा इलाज करने के लिए तैयार हैं और महिला का हम से पति पैसे की डिमांड कर के अस्पताल को बदनाम करने की कोशिस की जा रही है।-पदमेंद्र बिष्ट - हंस फाउंडेशन उत्तराखंड प्रभारी