बागेश्वर: उत्तराखंड लोगों के बीच अपनी हरी-भरी वादियों के साथ ही अपनी प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। वाकई उत्तराखंड को प्रकृति का अनोखा वरदान प्राप्त है। सुंदरता ऐसी कि जो भी यहां आता है, मंत्रमुग्ध हो जाता है। कई ऐसी रहस्मयी जगहों को अपने अंदर समेटे है उत्तराखंड। जी हां, कितनी ही ऐसी जगहें हैं जिनकी सुंदरता के दर्शन करना सबके भाग्य में नहीं होता है। मगर जो भी भाग्यशाली वहां जाता है, आश्चर्यचकित हो जाता है। राज्य समीक्षा समय-समय पर आपको ऐसे स्थानों से अवगत कराती रहती है जो प्राकृतिक सौंदर्यता अपने भीतर समेटे हुए हैं मगर अबतक लोगों की निगाह में नहीं आए हैं। आज हम आपको बागेश्वर की एक ऐसी ही नैसर्गिक सुंदरता वाली जगह से रूबरू कराएंगे जो कि इतनी लोकप्रिय नहीं है मगर फिर भी जो भी इस रहस्यमयी जगह पर जाता है अपना दिल हार बैठता है। जो इंसान वहां तक पहुंच जाता है वो वहां की सुंदरता में पूरी तरह से खो जाता है। हम बात कर रहे हैं बागेश्वर के कांडा के पास जोगाबाड़ी की अद्भुत खूबसूरत प्राकृतिक गुफा के बारे में। यह गुफा पर्यटन मानचित्र में नहीं जुड़ पाई है इस कारण यहां पर न के बराबर लोग आते हैं, मगर जो भी यहां पर आता है मंत्रमुग्ध हो जाता है। प्रकृति का इतना सौम्य दर्शन शायद ही कहीं देखने को मिलता है। इस गुफा को देखने के लिए अमेरिका, जर्मनी, इंग्लैंड, हालैंड, दक्षिण अफ्रीका आदि देशों के शोधकर्ताओं का दल आ चुका है।
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बागेश्वर स्थित कांडा बाजार से तकरीबन 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जोगाबाड़ी की गुफा की जो पर्यटन के लिए आकर्षण का एक बेहद प्रमुख केंद्र बन सकती है। हालांकि इस गुफा को अभी तक नाम नहीं मिला है जिस कारण यह पर्यटन मानचित्र पर स्थान अर्जित नहीं कर पाई है। मगर इस गुफा के अंदर जाते ही आप एक अलग दुनिया में आ जाएंगे। इसके अंदर बेहद खूबसूरत झरना, छोटी सी झील और वहां बने मनमोहक आकृतियां प्रकृति की अनूठी धरोहर हैं। गुफा के अंदर एक फीट ऊंचा शिवलिंग भी विद्यमान है जिसे एक 22 मुखी नाग छत्र प्रदान कर रहा है। फिर भी यह गुफा पर्यटकों की नजरों से ओझल है। बता दें की गुफा का प्रवेश द्वार बेहद संकरा होने के कारण गुफा के अंदर पेट के बल लेट कर जाना पड़ता है, लेकिन गुफा के भीतर प्रवेश करते ही आपको लगेगा कि आप स्वर्ग के किसी कोने में आ गए हैं। गुफा के अंदर ही बहता हुआ एक खूबसूरत से झरना है जिससे गुफा हमेशा झील की तरह लबालब भरी रहती है। आप जानते हैं कि सबसे अनोखी बात क्या है? गर्मी के मौसम में भी गुफा के अंदर का पानी कम नहीं होता।
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गर्मियों में भी यहां पर तकरीबन 2 फीट तक पानी मौजूद रहता है। वहीं गुफा के अंदर कुछ सफेद एवं कुछ अन्य रंग की चट्टानों पर बनी आकृतियां हैं। गुफा की दीवारों से लेकर उसकी छत तक ऐसी दर्जनों आकृतियां हैं जो ब्रह्माकाल, शेषनाग, शिव, ब्रह्म, विष्णु आदि देवी-देवताओं जैसी नजर आती हैं। इस गुफा को खोजने का श्रेय क्षेत्रवासी अर्जुन माजिला को जाता है। उन्होंने 5 साल पहले इस रहस्यमयी एवं अद्भुत गुफा की खोज की थी। वे इस स्थल के विकास के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। दो वर्ष पूर्व पर्यटन विभाग की ओर से इस स्थल के विकास के लिए 45 लाख रुपए का प्रस्ताव भी शासन को भेजा था मगर अबतक कोई भी कार्यवाही नहीं की गई है। चलिए आपको बताते हैं कि इस गुफा तक कैसे पहुंचा जा सकता है। यह गुफा कांडा बागेश्वर बाजार से लगभग ढाई किलोमीटर दूर पंगचौड़ा गांव के जोगाबाड़ी-धराड़ी नामक स्थान पर स्थित है। मोटर मार्ग से तकरीबन डेढ़ किलोमीटर पैदल चलकर इस गुफा तक पहुंचा जाता है। गुफा के भीतर झरना, सरोवर व अन्य आकृतियां हैं, जिससे प्रतीत होता है कि गुफा पौराणिक काल की है। गुफा के भीतर एक फीट ऊंचा शिवलिंग विद्यमान है जिसे एक 22 मुखी नाग छत्र प्रदान कर रहा है। पर्यटन की दृष्टि से भी यह गुफा बेहद खास साबित हो सकती है। अगर आप भी बागेश्वर जिले या उसके आसपास रहते हैं या जाने का प्लान बना रहे हैं तो जोगाबाड़ी गुफा के सौंदर्य का दीदार जरूर करें।